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तेरी तस्वीर बना बैठे

तेरी तस्वीर बना बैठे                                            (ओंकार ठाकुर) बिगड़ी तकदीर बनानी थी, तेरी तस्वीर बना बैठे | आज़ाद किया था तूने हमें, हम  ज़ंजीर बना बैठे | वादा किया था  तुझ से,  तुझ  को भूल जाने का, या खुदा, बेख़ुदी  में  हम,  क्या  फिर  बना  बैठे |                                          कागज़ बना कर भूली हुई,  खोई  हुई यादों का |                     आँख के पानी में घोला,  रंग अपनी फर्यदों का |                     बन गए सब रंग, लाऊं कहाँ से  ...

तुम स्वयं एक कविता हो

तुम स्वयं एक कविता हो                                                         (ओंकार ठाकुर )                                          तुम स्वयं एक कविता हो                     तुम को क्या सुनाऊं मैं |                     मूर्ख मुझे संसार कहेगा                     सूर्य को दीप दिखाऊं मैं | मेरी कल्पना ठगी रह गई जब  जब  तुम्हें  निहारा | शुष्क हुआ कंठ लेखनी का कागज़ सूना रहा बेचारा | ...

नीला आकाश

नीला आकाश (ओंकार ठाकुर ) यह नीला आकाश ! शायद इस ने विष पिया है अपने प्रिय से बिछुड़ कर | निशा आती है खो जाता है प्रिय के रत्नित आँचल में | दिनकर का उदय सन्देश है वियोग का और आकाश ! विछिन्न, रक्त रहित नीला पड़ जाता है | सुख और दुःख समय की डोर से बंधे एक ही धुरी पर घूमते हैं सांध्यके पदार्पण से आशा की रक्तिम आभा छा जाती है आकाश के अधरों पर कितनी सुखद है प्रिय मिलन की कल्पना ||